Saturday, February 27, 2016

All view

Kamaljeet Singh Khalsa
कोई आश्चर्य नहीं होगा।यदि मुरथल हरियाणा में पुलिस के होते हुए हमारी अपने ही देश की बहु बेटियों की इज्जत आबरू लूटी।और अब 1984 में सिख कत्लेआम और गोधरा की तरह पुलिस सबूत मांगेगी।सारे राजनेतिक दल न्याय मांगेगे।
क्या होगा इस सोने की चिड़िया जैसे देश का।
जाँच टीम की महिला अफसर कह रही है यदि कोई साक्ष्य है तो सामने लाएं।
जबकि घटना स्थल पर ट्रक वाले टीवी पर बयान दे रहे हैं।हमने देखा है सबको।पहचान लेंगे।
और दूसरी तरफ उसी टीवी के नारे को आधार मानकर देशद्रोह।
आंतक के पैदा होने के लक्षण हैं ये।

beginning progress success


Team work

Team work make the Dream work.

दुःख में सुख देखे -

दुःख में सुख देखे -

जब कोई व्यक्ति दु:ख और संकट से बेहाल हो जाता है, तब बिगड़ी मनोदशा में वह भगवान को भी जिम्मेदार ठहराता या कभी-कभी कोसता भी है। किंतु हिंदु धर्मशास्त्रों में बताई बातें ऐसी हालात को सुख और भगवत्कृपा का संकेत मानती है। जानते हैं सुखों को पाने के पहले कैसे-कैसे दु:खों का सामना करना पड़ता है - 
श्रीमद्भागवत में जिस भगवान की कृपा होने वाली हो वह धनहीन यानि गरीब होने लगता है, परिजनों से उपेक्षा मिलती है और अलगाव होने लगता है, धन के लिए की गई मेहनत बेकार हो जाती है। इस तरह बार-बार नाकामी से दु:खी और विरक्त मनोदशा में ही वह व्यक्ति भगवान के स्मरण और शरण में जाता है। जिससे वह वास्तविक सुख और चैन पाता है।
ऐसी हालात से गुजरने पर सामान्य व्यक्ति भगवान और भक्ति को कठिन मान बेचैन और अशांत रहता है। जिससे दु:ख में भगवान के सुमिरन और सुख में उनको भूलने की बात सत्य प्रतीत होती है। किंतु श्रीमद्भागवत में बताई बात साफ इशारा करती है कि विपरीत और बुरे हालात में भी व्यक्ति को किसी भी तरह हिम्मन न हारकर हकीकत को भगवान का विधान और घटित होने वाला हित मान स्वीकार करना चाहिए। वहीं सुख में भी भगवान में ध्यान और स्मरण जरूर करना चाहिए।